सच क्या है ?




"धर्म या मजहब का असली रूप क्या है ? मनुष्य जाती के
शैशव की मानसिक दुर्बलताओं और उस से उत्पन्न मिथ्या
विश्वाशों का समूह ही धर्म है , यदि उस में और भी कुछ है
तो वह है पुरोहितों, सत्ता-धारियों और शोषक वर्गों के
धोखेफरेब, जिस से वह अपनी भेड़ों को अपने गल्ले से
बाहर नहीं जाने देना चाहते" राहुल सांकृत्यायन



















Tuesday, August 30, 2011

आजादी का त्यौहार


पंद्रह अगस्त को मिला हमें आजादी का उपहार
हर साल मानते हैं हम आजादी का त्यौहार

जी करता है इस ख़ुशी में झूमें हम सौ बार
आजादी का मतलब भी सोचे तो एक बार

कहने को आजाद हुए हम
और यूँही बढ़ गए आबादी के रूप में
या बदल लिया है चोला
एक और गुलामी ने आजादी के रूप में

कभी तुर्कों ने , मुगलों ने, अंग्रेजों ने लूटा
देश आजाद हुआ तो अपनों ने लूटा

'भारत माता' तो लुटी गयी हर बार
हर साल मानते हैं हम आजादी का त्यौहार

कड़ी धूप में खेतों में वो हल चलता है
और पेट पे पत्थर बांधकर रातों को सो जाता है
दो वक्त की रोटी को दर-दर ठोकर खता है
और अंत में जहर खाकर बच्चों संग मर जाता है

कौन जिम्मेदार है इस बर्बादी का
क्या यही मतलब है आजादी का

सुनता नहीं अब कोई किसी की चीख पुकार
हर साल मानते हैं हम आजादी का त्यौहार

आजादी का मतलब भी आज हम भूल गए
जिस आजादी की खातिर 'वो' फांसी पे झूल गए
मिलती नहीं आजादी बिना खड्ग बिना ढाल
'उन' शहीदों के खून ने किया था ये कमाल

आजादी का मतलब हमने अभी पहचाना ही नहीं
खुले गगन में उड़ना हमने अभी जाना ही नहीं

धर्म के आडम्बरों को छोड़ कर
परम्पराओं के बंधनों को तोड़ कर
बदल रही है पूरी दुनिया
अभी हम नहीं हैं तैयार
हर साल मानते हैं हम आजादी का त्यौहार

ये कैसी आजादी है भूखी आधी आबादी है
शहरों की खुशहाली क्या जब गावों में बर्बादी है
भूख गरीबी और कुपोषण ने जानता को आ घेरा है
देश की आधी आबादी का झोपड़ में बसेरा है

जन मन गण आज भी परतंत्र है
इससे किसी को क्या मतलब देश तो स्वतंत्र है
आजादी के नाम पर स्विस बैंकों को भरते है
आजादी का ढोंग रचाना इन्ही का एक षड्यंत्र है

बहुजन को नहीं मिला अबतक उसका अधिकार
हर साल मानते हैं हम आजादी का त्यौहार

भय, भूख, और भ्रष्टाचार है
हर तरफ जुल्म और अत्याचार है
ये आजादी का कैसा त्यौहार है
हर तरफ आतंक का व्यापर है

लोकतंत्र के नाम पर लूट तंत्र का राज है
जाती धर्म के नाम पर बंटा हुआ समाज है

न नियत है न नीति है कैसी है सरकार
हर साल मानते हैं हम आजादी का त्यौहार

2 comments:

  1. आजादी एक सवाल है और जवाब बस एक चुप्पी है। शब्द पुष्टिकरण हटा दीजिए। आसानी होगी।

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  2. आज़ादी पर लिखी एक बढ़िया कविता, सत्य की प्रबल शक्ति के साथ. सुंदर रचना.
    Word verification हटा दीजिए. टिप्पणी करने में आसानी हो जाएगी.

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