सच क्या है ?
"धर्म या मजहब का असली रूप क्या है ? मनुष्य जाती के
शैशव की मानसिक दुर्बलताओं और उस से उत्पन्न मिथ्या
विश्वाशों का समूह ही धर्म है , यदि उस में और भी कुछ है
तो वह है पुरोहितों, सत्ता-धारियों और शोषक वर्गों के
धोखेफरेब, जिस से वह अपनी भेड़ों को अपने गल्ले से
बाहर नहीं जाने देना चाहते" राहुल सांकृत्यायन
Wednesday, August 31, 2011
क्या वाल्मीकि शूद्र थे ?
वाल्मीकि को शूद्र कहना ये भी एक बहुत बड़ा प्रोपगैंदा है..जिसके सहारे लाखों दलितों को वाल्मीकि का वंशज बताकर उन्हें हिंदू धर्म को त्यागने से रोक दिया गया,और बड़ी ही हरामखोरी के साथ उनका नाम एक ब्राह्मण कवि को शूद्र बताकर उसके साथ जोड़ दिया गया, वाल्मीकि मनु के दसवें पुत्र प्रचेता के पुत्र थे (देखें-वाल्मीकि रामायण,उत्तर कांड 96/19) वाल्मीकि स्वयं कहतें हैं की उनका जन्म द्वीज ब्राह्मण कुल में हुआ परंतु नीच शूड्रों के संपर्क के कारण डाकू बन गया (अयोध्या कांड सर्ग 92 श्लोक 65से 86) इसके अलावा भी आनंद रामायण, कृतिवास रामायण, स्कंदपुराण, भविश्यपुराण, रामचरितमानस आदि में उनके ब्राह्मण होने की बात ही लिखी है......
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नहीं नहीं। बात कुछ अलग लगती है शकील जी। ये काम मुझे तो शूद्र कहे जाने वाले लोगों का लगता है। समानता और मानवता का पक्षधर हूँ। यह दलित का नारा भी एक तमाशा ही है। यह तो बस एक नाव को छोड़कर दूसरे नाव पर सवार होने जैसा है। वाल्मीकि हों या कोई, इन्हें शूद्र कहने का जोर दलितों का है। एक कारण यह भी हो सकता है कि शुरू में चोर होने से इन्हें शूद्र कह कर फिर ब्राह्मणवाद थोपा गया हो।
ReplyDeleteMr Chandan Kumar if u like equality and humanity then why u are having the tail of Mishra. this is the symbol of Castism. u r discrminating by having this tail. first u cut it and then talk on brotherhood.
Deleteएस. शकील जी, प्रहलाद भी तो असुर का बेटा था जिसके लिए भगवान नर्सिंघ ने अवतार लिया. महाराष्ट्र के अधिकतर दलित आज भी प्रहलाद की पूजा करतें हैं.
ReplyDeleteमहाराष्ट्र का कोई भी दलित प्रल्हाद की भक्ति नही करता है..प्रल्हाद तो ब्राम्हणो ने बनाया हुआ चेला था जो स्वत: पिटा जे खिलाफ खड़ा हुआ था|
Deleteजो कर्म से निच है वोहि होता है शुद्र
ReplyDeleteजो कर्म से निच है वोहि होता है शुद्र
ReplyDeleteसही कहा आपने लेकिन वेदो मे तो कुछ और ही लिखा है
ReplyDeleteसही कहा आपने लेकिन वेदो मे तो कुछ और ही लिखा है
ReplyDeleteक्या लिखा है वेदों में mohit jattav भाई
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