सच क्या है ?




"धर्म या मजहब का असली रूप क्या है ? मनुष्य जाती के
शैशव की मानसिक दुर्बलताओं और उस से उत्पन्न मिथ्या
विश्वाशों का समूह ही धर्म है , यदि उस में और भी कुछ है
तो वह है पुरोहितों, सत्ता-धारियों और शोषक वर्गों के
धोखेफरेब, जिस से वह अपनी भेड़ों को अपने गल्ले से
बाहर नहीं जाने देना चाहते" राहुल सांकृत्यायन



















Saturday, July 2, 2011

भागो मत , दुनिया बदलो !


प्रिये बंधुओं,
भारत के केवल आठ राज्यों में इतनी गरीबी है जितनी की दुनिया के पचीस सबसे गरीब देशों में भी नहीं है ये वो गरीब देश हैं जो भारत के लगभग साथ ही आजाद हुए है अर्जुन सेन गुप्ता की तजा रिपोर्ट के अनुसार भारत के तिरासी प्रतिशत लोग बीस रूपए रोज पर गुजरा करने को मजबूर है, भ्रस्ताचार में भारत का स्थान प्रथम है देश में पचास किसान रोज आत्महत्या कर लेते है, पांच वार्स से काम आयु के सात हजार बच्चे प्रतिदिन भूख और कुपोसन से लड़ते हुए मर जाते है, देश के 18 करोड़ लोग फुटपाथों पर और इतने ही लोग सड़ांध में जानवरों की जिंदगी जीने को विवश है, शिशु एवं स्त्री मृतुदर में भारत अपने पडोसी देसों की तुलना में कही आगे है....भारत के महान शहीद भगत सिंह का कहना था ''जब तक एक आदमी भी भूका है तब तक हम सब अपराधी है क्यूँ की हम सब खा रहे है'' आईये हम सब मिलकर इस देश की तस्वीर बदलने के लिए एक क्रांति की शुरुआत करें /

देश की नियति बदलने के लिए आज आवश्यकता है एक क्रांति की,जो इस पूरी व्यवस्था को ही उखाड़ फैंके और एक नई व्यवथा का सृजन करे जहाँ आम आदमी अपनी बुनियादी आवश्यकताओं के लिए सरकारी मदद की भीख मांगने के बजाये स्वावलंबी बनें और तिरस्कारित-अपनानित जीवन जीने के बजाये स्वाभिमान से जिए:-

एक ऐसी व्यवस्था,

जिसमे कोई भूखा न सोये
कोई बेघर न रहे
कोई नंगा न रहे
पृथ्वी के संसाधनों पर सभी का बराबर हक हो
कोई नीच न रहे
कोई ऊंचा न बने
कोई दानी न रहे
कोई भिखारी न बने
कोई सती न हो
कोई वेश्या न बने
दहेज़ के लिए कोई स्त्री जलाई न जाये
कोई स्त्री,स्त्री होने के कारण सताई न जाये
गर्भ में ही वो गिराई न जाये
जहाँ गोत्र न हो
जाती का बंधन न हो
धर्म की कोई दीवार न हो
जहाँ भगवन के आलिशान घर न हो
आम आदमी बेघर न हो,बेबस न हो
जहाँ किसी परमेश्वर का सवाल न हो
जहाँ इश्वर के दलाल न हो

एक ऐसी व्यवस्था,

जिसमें भय,भूख और भ्रस्टाचार न हो
आतंक,अन्याय और अत्याचार न हो
किसी औरत से बलात्कार न हो
और जहाँ मानवता बौनी और लाचार न हो....

.........शकील 'प्रेम'

2 comments:

  1. निश्चित रूप से ऐसी व्यवस्था के लिए हम लड़ेंगे।

    शब्द पुष्टिकरण यानि वर्ड वेरिफ़िकेशन है, इसे हटा दें।

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  2. apki nyay ki ladai men main apke sath hoon

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