सच क्या है ?




"धर्म या मजहब का असली रूप क्या है ? मनुष्य जाती के
शैशव की मानसिक दुर्बलताओं और उस से उत्पन्न मिथ्या
विश्वाशों का समूह ही धर्म है , यदि उस में और भी कुछ है
तो वह है पुरोहितों, सत्ता-धारियों और शोषक वर्गों के
धोखेफरेब, जिस से वह अपनी भेड़ों को अपने गल्ले से
बाहर नहीं जाने देना चाहते" राहुल सांकृत्यायन



















Saturday, July 2, 2011

बोलते आंकड़े चीखती सच्‍चाइयां !


यह आंकड़े भी सुरेश तेंदुलकर की तजा रिपोर्र्ट के हवाले से...
भारत के केवल आठ राज्यों में ही इतनी गरीबी है जितनी की पूरी दुनिया के पच्चीस सबसे गरीब देशों में भी नहीं है भारत के लगभग आधे बच्चे कुपोषण के शिकार हैं!दुनिया के कुल कुपोषित बच्चों में एक तिहाई संख्या भारतीय बच्चों की है।देश में हर तीन सेकंड में एक बच्चे की मौत हो जाती है।देश में प्रतिदिन लगभग 10,000 बच्चों की मौत होती है, इसमें लगभग 3000 मौतें कुपोषण के कारण होती हैं। सिर्फ अतिसार के कारण ही प्रतिदिन 1000 बच्चें की मौत हो जाती है। भारत के पाँच वर्ष से कम उम्र के 38 फीसदी बच्चों की लम्बाई सामान्य से बहुत कम है।
15फीसदी बच्चे अपनी लम्बाई के लिहाज से बहुत दुबले हैं। 43 फीसदी (लगभग आधे) बच्चों का वजन सामान्य से बहुत कम है।हर 1000 में से 57 बच्चे पैदा होते ही मर जाते हैं। भारत में प्रति वर्ष 74 लाख कम वजन वाले बच्चे पैदा होते हैं - जो कि दुनिया में सबसे अधिक है। विश्व भर में 97 लाख बच्चे पाँच साल की उम्र पूरी करने से पहले ही मर जाते हैं, इनमें 21 लाख (यानी लगभग 21 प्रतिशत) बच्चे भारत के हैं। हर 4 में से 1 लड़की और हर 10 में से 1 लड़का प्राथमिक शिक्षा से वंचित है. गर्भ या प्रसव के दौरान आधी महिलाओं को उचित देख-भाल नहीं मिलती।
देश की 50 प्रतिशत महिलाओं और 80 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी है। देश का हर चौथा आदमी भूखे पेट रहता है। दुनिया भर में भूखे रहने वालों का एक तिहाई हिस्सा भारत में रहता है। पिछले 4-5 सालों में अधिकतर खाद्य पदार्थों की कीमतों में 50 से 100 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है। 77 प्रतिशत भारतीय 20 रुपये रोज से कम पर गुजारा करते हैं। देश की केन्द्र सरकार अपने खर्च का महज 2 प्रतिशत स्वास्थ्य पर और 2 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करती है। इसकी तुलना में सुरक्षा पर 15 प्रतिशत खर्च किया जाता है।

...........................................................शकील 'प्रेम'

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