सच क्या है ?
"धर्म या मजहब का असली रूप क्या है ? मनुष्य जाती के
शैशव की मानसिक दुर्बलताओं और उस से उत्पन्न मिथ्या
विश्वाशों का समूह ही धर्म है , यदि उस में और भी कुछ है
तो वह है पुरोहितों, सत्ता-धारियों और शोषक वर्गों के
धोखेफरेब, जिस से वह अपनी भेड़ों को अपने गल्ले से
बाहर नहीं जाने देना चाहते" राहुल सांकृत्यायन
Saturday, September 17, 2011
क्या ईश्वर है ?
स्वामी विवेकानंद के अनुसार इश्वर को सर्वशक्तिमान,सर्वज्ञ, सर्वव्याप्त, दयालु, न्यायकर्ता ,होना चाहिए अगर इश्वर में ये गुण नहीं तो वो इश्वर नहीं
अब आइये इन गुणों से इश्वर को जानने का प्रयास करते हैं की क्या इश्वर में ये गुण है , सबसे पहले हम इश्वर के सर्वशक्तिमान वाले गुण की विवेचना करते हैं , क्या इश्वर सर्वशक्तिमान है , इश्वर के सर्वशक्तिमान होने का अर्थ है की उसके पास इतनी शक्ति हो की कभी भी कुछ भी कर सकता है ,
लेकिन विश्व के इतिहास में इश्वर ने कभी भी कुछ भी नहीं किया , उसी के नाम पर कितने ही कबीले आपस में लड़-लड़ कर नष्ट हो गए , हजारों सालों से आज तक उसी के नाम पर इंसान ,इंसान से जुदा होकर लड़ रहा है , देश ,देश से जुदा होकर लड़ रहा है कहाँ है इश्वर और उसकी महाशक्ति ,
साम्राज्यवादियों ने शताब्दियो तक सैंकड़ो देशों के करोड़ों इंसानों को गुलाम बना कर रखा, शताब्दियो तक सैकड़ों पीड़ियो ने अपनी हड्डियों तक गला दीं इनकी गुलामी में,कहाँ था इश्वर और उसकी महाशक्ति
हिटलर ने ६ करोड़ इंसानों का क़त्ल किया क्या हिटलर से कमजोर था इश्वर , अमेरिका ने जापान पर अपने एटम बमों द्वारा हमला कर लाखों को क़त्ल किया हजारों को अपंग बनाया , तब क्या अमेरिका के अटमबमों को रोकने की शक्ति इश्वर में नहीं थी ,अगर शक्ति थी तो रोका क्यूँ नहीं
चंगेज खान, हलाकू, तैमूर लंग, हिटलर , जिन्होंने करोड़ों इंसानों का खून बहाया , करोड़ों औरतों ,बच्चों को अनाथ, बेसहारा,और बेघर करने वाले इतिहास के इन महान अत्याचारियो को ईश्वर क्यूँ नहीं रोक पाया , शताब्दियों तक इनके अत्याचारों से उत्पीडित ,व्यथित, इंसानों पर उसे दया क्यूँ नहीं आई
अरे कैसा निष्ठुर इश्वर है जो आंसुओं के अथाह समुन्दर को देखकर भी तठस्थ बना रहा , क्यूँ नहीं अपनी महाशक्ति का प्रयोग किया ,क्या उनसे कमजोर था ,या उनसे डर गया था ऐसा कमजोर और डरपोक इश्वर सर्वशक्तिमान तो क्या दयालु भी नहीं हो सकता ,बल्कि उसका नाम तो चंगेज खान ,हलाकू,तैमूर,और हिटलर के साथ ही जोड़ने लायक है, अगर वो है तो.....
क्यूंकि इन सबसे सर्वशक्तिमान होते हुए भी उसने इन्हीं का साथ दिया या सिर्फ मूकदर्शक बन के बस देखता रहा , क्या इसलिए की बाद में न्याय करेगा ? अरे बाद में मिला न्याय क्या किसी अन्याय से कम है ?जब तुम्हे न्याय करना था तब तुम सोते रहे और कहते हो की बाद में देखेंगे , नहीं चाहिए तुम्हारी झूठी तसल्ली, और ना ही तुम्हारे जैसे किसी इश्वर की हमें जरूरत है जो शक्तिहीन हो, निर्दई हो, और अन्याई हो
क्या ऐसा इश्वर जो शक्तिहीन, निर्दई, और अन्याई हो वो सर्वज्ञ , या सर्वव्याप्त हो सकता है , अगर वो सर्वज्ञ और सर्वव्याप्त हुआ तो ये दुनिया के लिए अभिशाप ही सिद्ध होगा , लेकिन शुक्र है की वो सर्वज्ञ और सर्वव्याप्त नहीं है
कैसे आइये देखते है - अगर वो सर्वज्ञ है तो जब कोई दुखों से व्यथित होकर आत्महत्या को मजबूर होता है तो क्यूँ नहीं वो सर्वज्ञ होने का परिचय देते हुए उसके मरने से पहले ही उसके दुखों को दूर कर देता , उसकी आर्थिक सहायता करता या उसके क्लेशों को पहले ही जान कर उसका समाधान कर देता , जिससे उसके पीछे उसके बच्चे अनाथ न होते ,इसकी बीवी को बिधवा होने का दर्द न सहना पड़ता
देश में ५०-५५ किसान प्रतिदिन आत्महत्या करते हैं , अभी इसी साल जनवरी से अब तक केवल इन आठ महीनों में ही देश के केवल एक जिले में ५०६ किसानों ने आत्महत्या की , इश्वर सर्वज्ञ था तो क्यूँ नहीं इनकी समस्याओं का निदान किया , या इन्हें निदान का रास्ता बताया ,जिससे आज इनके पीछे दुखी लाखों लोग बर्बाद नहीं होते ,क्या उसे इसका पता नहीं था, था तो क्यूँ बेमौत मरने दिया इन्हें ?
क्या ऐसा इश्वर जो शक्तिहीन ,निर्दई,अन्याई,अज्ञानी हो वो सर्वव्याप्त हो सकता है ,नहीं कभी नहीं, प्रतिवर्ष पूरी दुनिया में १० लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में बेमौत मारे जाते हैं , लाखों औरतों का प्रतिवर्ष बलात्कार होता है इनमें से हजारों औरतों को बलात्कार के बाद बेरहमी से मार दिया जाता है , दूधपीते बच्चों तक से बलात्कार होते हैं ,दहेज़ के लिए कितनी ही औरतों को जिन्दा जला दिया जाता है , पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष लाखों लोग आतंक का शिकार होते हैं , करोड़ों जिंदगियां नालों, फुटपाथों और झुग्गियों में सड़ रहीं हैं, प्रतिवर्ष करोड़ों बच्चे कुपोषण का शिकार होकर मर रहे हैं,
कहाँ हैं वो सर्वव्याप्त ईश्वर क्या उसे ये दिखाई नहीं दे रहा है या दीखते हुए भी वो इतना असहाय है की कुछ कर नहीं सकता , ऐसे अंधे और असहाय ईश्वर की हमें कोई आवश्यकता नहीं जो सर्वव्याप्त होते हुए भी कुछ न कर सके
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शकील भाई, कैसे समझेंगे सारे धूर्त जो इन बातों को मानते हैं।
ReplyDeleteधर्म के मूल में दया न हो तो वह धर्म नहीं रहता. दुनिया में जितनी दया है उतने ही अनुपात में धर्म है. धर्म की दुकान चलाने के लिए ईश्वर बनाने-सजाने की ज़रूरत पड़ी. अन्यथा ईश्वर क्या और उसका धर्म से रिश्ता क्या. ईश्वर को यदि प्राकृतिक मान लें तो भी देखने पर पता चलता है कि प्रकृति में हिंसा का सिद्धांत काम करता है. धर्म के ठेकेदार इसे बेहतर समझते हैं और तदनुसार कार्य करते हैं.
ReplyDeleteishwar hai ,tha,rahega
ReplyDeleteशकील जी आपके विचारों से मेरी शत-प्रतिशत सहमति इस विषय पर
ReplyDeleteमैंने कुछ कवितायें लिखने का प्रयास किया है। कृपया मेरे blog पर
आकर अपनी प्रतिक्रिया देकर मेरा मार्ग-दर्शन करें।
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ReplyDeleteइश्वर एक शक्ति अवश्य ह परन्तु वेसी नहीं जेसी हमने कल्पना की ह इश्वर अपने बनाये संसार में परिवर्तन नहीं कर सकता वह न तो अच्छाई को रोकता ह न बुराई यदि वो एसा करता ह तो उसके बनाये संसार में असंतुलन पैदा होगा कल्पना की जाये की यदि बुराई ना होती तो अच्छाई भी ना होती बुराई न होती ना होते बुराई रोकने वाले ना होते न होते विवेकानंद और न होते महात्मा गाधी न होते राम न होते क्रिशन यदि कंप्यूटर की भाषा में समझे तो सब कुछ programmed ह सभी जीवो के कर्म व क्षमताये निर्धारित वो वाही करते ह जो परिस्तिया उनसे करवाती ह ये संसार इश्वर का बनाया हुआ ह उससे बढकर हमारे पास शक्तिया नहीं ह उसके बनाये संसार में दुःख दर्द अशांति और भी कई त्रुटीया ह जिन्हें पूरा ना कर पाना उस बुदिमान इश्वर की कमी ह इन त्रुटीयो को सुधरने का प्रयास मनुष्य को करना होगा यह इस निर्दयी इस्वर के भरोसे रहने से अच्छा होगा आप यदि मुझ से सहमत ह तो जरुर मुझे मेरा ईमेल करे
ReplyDeleteमुकेश शर्मा अलवर,राजस्थान
email add. - mks7244@gmail.com
जो लोग ये कहते हें की ईश्वर नहीं है उन लोगो से सबसे पहले एक सवाल
ReplyDeleteक्या आपने कभी सोचा के इस दुनिया का बनाए जाने के पीछे क्या मक़सद रहा होगा?
आज हम (इंसान) एक माचिस की डिब्बी का भी निर्माण करते हें तो उसका एक मक़सद होता है.... और इस संसार में हर चीज़ अपने मक़सद की वजह से हेय... सूरज रोशनी गर्मी देने के लिए... ज़मीन, आसमान, बारिश, हवा, पानी ... और सारी ही चीज़ें किसी न किसी मक़सद को पूरा कर रही हें ...
क्या ऐसा मुमकिन है की इंसान बे-मक़सद बना दिया गया है ? कोई मक़सद नई इसकी ज़िंदगी का ?
जब इस सवाल का सही जवाब आप ढूंढ लोगे तब समझ आयेगा आपको की... ईश्वर के होते हुए भी संसार मे पाप, अत्याचार, बे-ईमानी , ज़ुल्म क्यूँ हो रहे हें... ईश्वर उन्हें रोकता क्यूँ नहीं ?
एक टीचर के होते हुए भी विद्यार्थी क्यूँ फ़ेल हो रहे हें ? टीचर देख रहा है की विद्यार्थी गलत उत्तर लिख रहा है ... फिर भी वो बीच में दखल-अंदाजी क्यूँ नहीं कर रहा है ? क्यूँ फ़ेल होने दे रहा है ?
अगर जवाब न मिले तो मुजसे मिलिये... में देता हूँ आपको जवाब ...
सलामती हो उस पर जो हक़ बात को पाने की कोशिश करे ...
Rizwan Aarif, Bhopal.
mrizwanaarif@gmail.com
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Jai manavta shakil sir
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